Learn about Meera Bai in Hindi | प्रिय कवियत्री – मीरा बाई

Meera bai in Hindi : आइये इस लेख प्रिय कवियत्री – मीराबाई की कृष्ण भक्ति और उनके जीवन के बारे में कुछ सामान्य बातें जानते हैं|
meera bai

Who is Meera Bai in Hindi | मीरा बाई कौन थी

मीरा बाई भगवान् श्री कृष्ण की अनन्य प्रेम मय भक्त थी. कृष्ण भक्त मीरा बाई का जन्म 1503 ई. मे राजस्थान के मारवाड़ जिला के अंतर्गत कुडको गावं में हुआ. मीरा बाई मेड़ता राज्य के संस्थापक राव दूदाजी की पोत्री थी. 1516 मे मीरा का विवाह चित्तोड़ के महाराजा के बड़े पुत्र भोजराज के साथ हुआ. बाल्यकाल में ही मीराबाई की माँ इन्हें छोड़ के परलोक सिधार गई थी. इसके बाद उनका पालन पोषण उनके राव दूदाजी ने ही किया.

वे वैष्णव भक्त थे. इस कारण मीरा बाई को भक्ति के संस्कार मिले. मीरा बाई बचपन से भगवान विष्णु की उपासक बन गई थी. विवाह के कुछ वर्षो के बाद ही मीराबाई के पति भोजराज की मृत्यु हो गई. इसके बाद मीराबाई ने पारलौकिक प्रेम को अपनाते हुए कृष्ण भक्ति की राह पकड ली. वह सत्संग साधू-संत-दर्शन और कृष्ण कीर्तन के अध्यात्मिक प्रवाह में बहती हुई संसार को निस्सार समझने लगी. उनके परिजनों ने उन्हें ग्रहस्थ जीवन में लाने का काफी प्रयास किया लेकिन उनके यह प्रयास निरर्थक साबित हुआ.

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मीरा बाई के प्रति सामाजिक व्यवहार

बताया जाता है कि बचपन में ही एक बार मीराबाई खेल ही खेल में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को ह्रदय से लगा अपना दूल्हा मान लिया था| तभी से वह कृष्ण को अपना पति मानते हुए उनको खुश करने के लिए मधुर गीत गति रहती थी|

कम आयु में विधवा होने और चित्तोड़ के राजवंश से जुड़े होने के कारण भक्ति जीवन में प्रवेश करते समय उन्हें समाज तथा वातावरण का कदा विरोध सहना पड़ा. मीरा बाई ने अपनी काव्य रचना में लौकिक प्र्तिक्को के रुपको को शामिल किया लेकिन उनका उद्देश परलौकिकचिन्तन धारा के अनुकूल है|

यही कारण है की वह दोनों ही दृष्टि से अपनाने योग्य के साथ साथ रुचिपूर्ण और ह्र्दयस्पर्शी भी है. मीराबाई के भावपक्ष में यह भी भाव विशेषका दर्शन या अनुभव हमें प्राप्त होता है की वे श्री कृष्ण के वियोग में बहुत ही विरहकुल अवस्था को प्राप्त हो चुकी थी|

मीरा बाई के श्री कृष्ण के दर्शन की तीव्र कामना और उमंग का अंदाजा उनके निम्न उदाहरण से लगाया जा सकता है :
श्याम मिल्न रे काग सखी, उर आरत जगी!
तलफ तलफ कलना पड़ा, विरहानल लगी!
निसि दिन पन्त निहारा पिबरो,पालकांना पल भर लगी!
पिव-पिव महा रताः रेनू दिन लोक, लाज कुल त्यागी!
विरह भागम डस्या कुलेजा लहर हलः जागी
मीरा व्याकुल अति ,अकुलानी श्याम उम्न्गा!!
अपनी भाषा शैली में मीरा बाई ने कहावतो और मुहबरो लोकप्रिय स्वरूपों को भि अथां दिया है ! इसके आलावा स्वरूपो को भि स्थान दिया. इसके आलावा अहंकार और रसो का समुचित प्रयोग किया. 

FAQs

मीराबाई का विवाह किस वर्ष में हुआ था?

मीराबाई का विवाह 1516 ईस्वी में मेवाड़ के युवराज भोजराज सिंह सिसोदिया के साथ हुआ था। भोजराज सिंह महाराणा सांगा के ज्येष्ठ पुत्र थे जो 1521 में खानवा के युद्ध में शहीद हो गए थे।

मीराबाई के दादाजी का नाम क्या था?

मेड़ता के राव दूदा।

मीराबाई का विवाह कितने वर्ष की उम्र में हुआ था?

18 वर्ष की आयु में।

मीराबाई का राणा सांगा से क्या रिश्ता था?

मीराबाई का महाराणा सांगा से ससुर का रिश्ता था। महाराणा सांगा के पुत्र भोजराज सिंह मीराबाई के पति थे।

मीराबाई ने अपना पति किसे माना?

मीराबाई का विवाह 1516 ईस्वी में मेवाड़ के राजकुमार भोजराज के साथ हुआ था जो महाराणा सांगा के ज्येष्ठ पुत्र थे। 1521 में भोजराज की मृत्यु के बाद मीराबाई ने भगवान श्री कृष्ण को अपना पति माना।

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