मकर संक्रांति 2023 में कब हैं, महत्व, शुभ मुहूर्त और कथा | Makar Sankranti 2023 Date, Significance History and Story in Hindi

मकर संक्रांति 2023 कब हैं, महत्व, शुभ मुहूर्त और कथा | Makar Sankranti 2023 Date, Significance History and Story in हिंदी |Makar Sankranti 2023 date । Makar Sankranti 2023 tithi Significance, History, Stories, Shubh Muhurat in Hindi 

Makar Sankranti 2023 –  मकर संक्रांति भारत का विशेष पर्व है | मकर संक्रांति पूरे भारत में किसी न किसी रूप में मनाई जाती है कहीं-कहीं पर खिचड़ी ,पोंगल ,संक्रांति ,आदि नामों से भी मनाते हैं |

वर्ष 2023 में मकर संक्रांति का पर्व भारत के पंचांग के अनुसार 14 जनवरी 2023 को , शनिवार को पौष मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी की तिथि ( के दिन ) को मनाया जाएगा.

Makar Sankranti 2023 date
Makar Sankranti 2023 date

Makar Sankranti का मुहूर्त समय पुण्य काल अवधि

मकर संक्रांति पुण्य काल मुहूर्त 
07:15:13 से 12:30:00 तक  
पुण्य काल अवधि 5 घंटे 14 मिनट
संक्रांति महापुण्य महा पुण्य काल मुहूर्त 07:15:13 से 09:15:13 तक
महापुण्य काल अवधि 2 घंटे 0 मिन

इस दिन सूर्य अपने पुत्र की राशि मकर राशि में प्रवेश करते हैं मकर राशि में प्रवेश करने के बाद ही संक्रांति मनाई जाती है |

सनातन धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है इस दिन स्नान ,दान ,ध्यान का विशेष महत्व रहता है |

जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उस समय पांच ग्रहों का विशेष संयोग बनता है| जिसमें शनि ,चंद्रमा, गुरु, शुक्र, सूर्य शामिल रहते हैं |

जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो संक्रांति मनाई जाती है |

मुख्यतः सूर्य की राशि परिवर्तन को ही संक्रांति कहते हैं | यह परिवर्तन साल में एक बार आता है |

जब सूर्य दक्षिणायन स्थिति से निकलकर उत्तरायण हो जाते हैं | उस समय को ही मकर संक्रांति माना जाता है | उत्तरायण देवताओं का दिन माना जाता है|

यह दिन अत्यंत फल दायक और शुभ कार्य का दिन होता है |इस देश विशेष पूजा और आराधना भी की जाती है जिससे मनुष्य को जन्म जन्मांतर के पाप और पृथ्वी पर बार – बार आवागमन और दुखों से मुक्ति प्रदान होता है|

मकर संक्रांति तिथि कब है | Makar Sankranti 2023 Date ?

इस वर्ष मकर संक्रांति के दिन को लेकर ज्यादा मतभेद नहीं है| क्योंकि इस वर्ष में मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही पूरे भारत में मनाया जाएगा |

इस बार 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में 07:15:13 पर प्रवेश करने वाले हैं | सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि में पूरे 1 महीने तक रहते हैं | जिससे शनि कोआनंद का अनुभव होता है|

कुछ लोग मानते हैं कि सूर्य और शनि आपस में शत्रु राशि हैं परंतु यह बिल्कुल ही गलत बात है | क्योंकि पिता और पुत्र में मतभेद हो सकता है परंतु शत्रुता संभव नहीं है |

मकर संक्रांति के दिन कैसे करें पूजा अर्चना क्या है पूजा विधि का समय ?

Makar Sankranti
Makar Sankranti

इस दिन सुबह 07:15:13 पर मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त आरम्भ माना जाता है | इस दिन स्नान करके सूर्य कोअर्घ देने ,गायत्री मंत्र ,सूर्य के मंत्र से विशेष पूजा की जाती है|

गंगा स्नान का विशेष महत्व है, मान्यताओं के अनुसार यह कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करने से सारे कष्ट और पापों का नाश हो जाता है|

इसी दिन मां गंगा भागीरथी की तपस्या के उपरांत ही पृथ्वी पर आई थी और भागीरथी के वंशजों को मुक्ति प्रदान की थी | इसलिए आज के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है|

स्नान के बाद तिल के तेल का दीपक जलाकर सूर्य को अर्पित किया जाता है तिल के बने हुए खाद्य सामग्री सूर्य को नैवैद्य के रूप में चढ़ाया जाता है |

जिससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं | तिल के दीपक जलाने से शनि की पीड़ा भी कम होती है | तिल के दीपक जलाने से अपने ऊपर सूर्य का प्रभाव कम होता है और शांति प्रदान होती है | इस दिन तिल का दान करना बहुत ही लाभकारी होता है|

मकर संक्रांति के दिन क्या – क्या दान करे और कैसे ? 

संक्रांति के दिन दान दक्षिणा का विशेष महत्व है | इस दिन लोग गरीबों को तिल की बनी हुई वस्तुएं दान करते हैं| मकर संक्रांति के दिन लोग अपने पुरोहित और ब्राह्मणों को दान देने का विशेष महत्व रखते हैं | मान्यताओं के अनुसार  इस दिन दान देने से लोगों के पापों का नाश होता है और लोगों को सुख शांति प्रदान होती है|

इस दिन तिल और चावल से भगवान शंकर की विशेष पूजा भी की जाती है | साथ ही साथ लोग इस दिन सत्यनारायण पूजा का भी विशेष आयोजन करते हैं और प्रसाद वितरण किया जाता है |

मकर संक्रांति के दिन लोग खिचड़ी दान करने का भी महत्व देते हैं | साथ ही साथ इस दिन गुड और चावल, तिल भी दान देते हैं| ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन भूल कर भी उपवास नहीं करना चाहिए

मकर संक्रांति का इतिहास

  • कथा 1
    Makar Sankranti 2023

      Makar Sankranti 2023

जब सूर्य देव पहुंचे कुम्भ राशि में 

पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार यमराज के परामर्श पर पर सूर्य देव शनि के घर कुंभ में पहुंचे थे | वहां देखा कि सब कुछ जला हुआ था उस समय शनिदेव के पास केवल काले तिल के अतिरिक्त कुछ भी नहीं था| जिससे शनिदेव ने काले तिल से ही सूर्य देव की पूजा और आराधना की जिससे सूर्य देव प्रसन्न होकर शनि महाराज जी को आशीर्वाद दिया की , आपका दूसरा घर मकर राशि में मेरे आने पर वह धन-धान्य से भर जाएगा|

काले तिल के कारण ही शनि महाराज का वैभव ठीक उसी प्रकार से उन्हें वापस प्राप्त हो गया था| इसलिए शनि महाराज जी को काला तिल बहुत ज्यादा ही प्रिय है इसलिए  संक्रांति के दिन शनि महाराज जी को और सूर्य देव जी को तिल का दीपक और तिल से बनी हुई वस्तुओं का भोग लगाया जाता है जिससे शनि देव और सूर्य देव प्रसन्न रहें और लोगों को वैभव और सुख-शांति की प्राप्ति हो|

कथा 2

Makar Sankranti - GANGA MATA KI KATHA
Makar Sankranti – GANGA MATA KI KATHA

संक्रांति के दिन ही गंगा मां आई थी धरती पर

पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति की दूसरी कथा मिलती है कि गंगा मां अपने भक्त भागीरथी के तपस्या के फलस्वरूप उनके पीछे – पीछे कपिल मुनि के आश्रम से होकर गंगासागर में जाकर मिल गई | ऐसा माना जाता है कि मां गंगा भागीरथी की तपस्या से प्रसन्न होकर आज के ही दिन धरती पर आई थी | इसलिए मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है इसी दिन भागीरथी ने अपने पूर्वजों का तर्पण किया था और गंगा जी ने उनका यह तर्पण स्वीकार किया था | इस दिन मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में मेले का आयोजन किया जाता है|

 

  • कथा 3
  • संक्रांति के दिन ही भीष्म पितामह ने त्यागी थी देह
  • Makar Sankranti 2023 date
    Makar Sankranti – Bhishma pitamah images

संक्रांति के दिन ही भीष्म पितामह ने त्यागी थी देह

मकर संक्रांति की एक कथा और भी मिलती है कि जब भीष्म पितामह बाणों की शैया पर लेटे हुए थे ,और उनको इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था | उस समय भीष्म पितामह जी ने मकर संक्रांति के दिन ही मृत्यु लेने का निश्चय किया था| इसके पीछे का कारण यह है कि जो मनुष्य सूर्य के उत्तरायण के समय में देह त्यागता है उनकी आत्मा को मुक्ति मिलती है और वह देवलोक में स्थान प्राप्त करता है | वह बार-बार के जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाते हैं|
इसलिए भीष्म पितामह ने जब तक सूर्य दक्षिणायन में थे तब तक देह का त्याग नहीं किया, जब सूर्य उत्तरायण में मकर संक्रांति के दिन आ गए उस दिन भीष्म पितामह ने अपने देह का त्याग किया था|

  • कथा 4

भगवान विष्णु ने किया था असुरों का अंत

Makar Sankranti 2023 date
Makar Sankranti 2023 date भगवान विष्णु ने किया था असुरों का अंत

पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार ऐसा भी माना जाता है कि भगवान विष्णु ने सभी असुरों को मंदार पर्वत के नीचे दबा दिया और युद्ध समाप्ति की घोषणा कर दी | इस दिन बुराई और नकारात्मक शक्तियों का अंत हुआ था| मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी|

मकर सक्रांति को भारत के कुछ विभिन्न प्रदेशों में अलग-अलग नामों से भी मनाया जाता है जहां तमिलनाडु में पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं वहीं आंध्र प्रदेश केरल कर्नाटका इसे केवल संक्रांति के उत्सव के रूप में मनाते हैं वही उत्तर भारत में लोग इसे मकर संक्रांति के उत्सव के रूप में मनाते हैं |

 

प को यह जानकारी मकर संक्रांति कैसी लगी  जरूर बताये !

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