हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष के अंतिम माह फाल्गुन की पूर्णिमा को होली का त्योहार मनाया जाता है।

जिस होली के त्योहार को पूरे देश में मनाया जाता है, उसकी शुरुआत रानी लक्ष्मीबाई के शहर झांसी से हुई थी।

सबसे पहली बार होलिका दहन झांसी के प्राचीन नगर एरच में ही हुआ था। झांसी में एक ऊंचे पहाड़ पर वह जगह आज भी मौजूद है, जहां होलिका दहन हुआ था। - इस नगर को भक्त प्रह्लाद की नगरी के नाम से जाना जाता है।

झांसी से एरच करीब 70 किलोमीटर दूर है।

भक्‍त प्रहलाद से जुड़ी है घटना - पुराणों के आधार पर होली मनाए जाने के पीछे की घटना भक्त प्रहलाद से जुड़ी हुई है।

सतयुग में हिरण्यकश्यप राक्षस का राज था। हिरण्यकश्यप का भारत में एक छत्र राज था।

झांसी के एरच को हिरण्यकश्यप ने अपनी राजधानी बनाया। घोर तपस्या के बाद उसे ब्रह्मा से अमर होने का वरदान मिल गया। इससे वह अभिमानी हो गया।