मीरा बाई कौन थी

मीरा बाई का जन्म 1503 ई. मे राजस्थान के मारवाड़ जिला के अंतर्गत कुडको गावं में हुआ

मीरा बाई मेड़ता राज्य के संस्थापक राव दूदाजी की पोत्री थी. 1516 मे मीरा का विवाह चित्तोड़ के महाराजा के बड़े पुत्र भोजराज के साथ हुआ.

वे वैष्णव भक्त थे. इस कारण मीरा बाई को भक्ति के संस्कार मिले. मीरा बाई बचपन से भगवान विष्णु की उपासक बन गई थी

बताया जाता है कि बचपन में ही एक बार मीराबाई खेल ही खेल में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को ह्रदय से लगा अपना दूल्हा मान लिया था| तभी से वह कृष्ण को अपना पति मानते हुए उनको खुश करने के लिए मधुर गीत गति रहती थी|

वे वैष्णव भक्त थे. इस कारण मीरा बाई को भक्ति के संस्कार मिले. मीरा बाई बचपन से भगवान विष्णु की उपासक बन गई थी. विवाह के कुछ वर्षो के बाद ही मीराबाई के पति भोजराज की मृत्यु हो गई.

कम आयु में विधवा होने और चित्तोड़ के राजवंश से जुड़े होने के कारण भक्ति जीवन में प्रवेश करते समय उन्हें समाज तथा वातावरण का कदा विरोध सहना पड़ा.

मीरा बाई के श्री कृष्ण के दर्शन की तीव्र कामना और उमंग का अंदाजा उनके निम्न उदाहरण से लगाया जा सकता है : श्याम मिल्न रे काग सखी, उर आरत जगी! तलफ तलफ कलना पड़ा, विरहानल लगी! निसि दिन पन्त निहारा पिबरो,पालकांना पल भर लगी! पिव-पिव महा रताः रेनू दिन लोक, लाज कुल त्यागी!