Dhan Laxmi Stotra in Hindi | श्री धनलक्ष्मी स्तोत्र

Dhan Laxmi Stotra in Hindi | श्री धनलक्ष्मी स्तोत्र | Lakshmi stotram

धन लक्ष्मी स्तोत्र देवी धन लक्ष्मी देवी को प्रसन्न करने के लिए भक्ति का एक उत्कृष्ट मार्ग है। इसमें कई छंद हैं जो देवी की महानता और धन और समृद्धि पर उनकी शक्तियों का सार प्रस्तुत करते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस स्तोत्र का जाप करने से न केवल भौतिक लाभ की प्राप्ति होती है बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी होती है। उचित भक्ति के साथ इस भजन का पाठ करने से व्यक्ति ज्ञान, ज्ञान प्राप्त कर सकता है और अंततः मोक्ष या सांसारिक चक्रों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है। इसके अतिरिक्त, यह माना जाता है कि जो लोग इस भक्ति भजन का जाप करते हैं उन्हें देवी धन लक्ष्मी देवी की कृपा प्राप्त होती है जो उन्हें वित्तीय स्थिरता के साथ अपने जीवन यात्रा में आगे बढ़ने में मदद करेगी।

The Dhana Laxmi Stotra is an excellent path of devotion to please Goddess Dhana Lakshmi Devi. It has several verses that summarize the greatness of the goddess and her powers over wealth and prosperity. According to scriptures, chanting this stotra helps in not only achieving materialistic gains but also spiritual enhancement. By reciting this hymn with proper devotion, one can gain knowledge, wisdom and ultimately achieve moksha or liberation from worldly cycles. Additionally, it is believed that those who chant this devotional hymn receive grace from Goddess Dhana Lakshmi Devi which will help them move ahead in their life journey with financial stability.

Dhan Laxmi Stotra in Hindi photo |श्री धनलक्ष्मी स्तोत्र
Dhan Laxmi Stotra in Hindi photo |श्री धनलक्ष्मी स्तोत्र

Dhan Laxmi Stotra in Hindi – श्री धनलक्ष्मी स्तोत्र

श्री धनदा उवाच ।

देवी देवमुपागम्य नीलकण्ठं मम प्रियम् ।
कृपया पार्वती प्राह शङ्करं करुणाकरम् ॥ १ ॥

श्री देव्युवाच ।

ब्रूहि वल्लभ साधूनां दरिद्राणां कुटुम्बिनाम् ।
दरिद्रदलनोपायमञ्जसैव धनप्रदम् ॥ २ ॥

 

 

श्री शिव उवाच ।

पूजयन् पार्वतीवाक्यमिदमाह महेश्वरः ।
उचितं जगदम्बासि तव भूतानुकम्पया ॥ ३ ॥

स सीतं सानुजं रामं साञ्जनेयं सहानुगम् ।
प्रणम्य परमानन्दं वक्ष्येऽहं स्तोत्रमुत्तमम् ॥ ४ ॥

धनदं श्रद्धधानानां सद्यः सुलभकारकम् ।
योगक्षेमकरं सत्यं सत्यमेव वचो मम ॥ ५ ॥

पठन्तः पाठयन्तोऽपि ब्राह्मणैरास्तिकोत्तमैः ।
धनलाभो भवेदाशु नाशमेति दरिद्रता ॥ ६ ॥

भूभवांशभवां भूत्यै भक्तिकल्पलतां शुभाम् ।
प्रार्थयेत्तां यथाकामं कामधेनुस्वरूपिणीम् ॥ ७ ॥

धनदे धर्मदे देवि दानशीले दयाकरे ।
त्वं प्रसीद महेशानि यदर्थं प्रार्थयाम्यहम् ॥ ८ ॥

धराऽमरप्रिये पुण्ये धन्ये धनदपूजिते ।
सुधनं धार्मिके देहि यजमानाय सत्वरम् ॥ ९ ॥

रम्ये रुद्रप्रिये रूपे रामरूपे रतिप्रिये ।
शिखीसखमनोमूर्ते प्रसीद प्रणते मयि ॥ १० ॥

आरक्तचरणाम्भोजे सिद्धिसर्वार्थदायिके ।
दिव्याम्बरधरे दिव्ये दिव्यमाल्यानुशोभिते ॥ ११ ॥

समस्तगुणसम्पन्ने सर्वलक्षणलक्षिते ।
शरच्चन्द्रमुखे नीले नीलनीरजलोचने ॥ १२ ॥

चञ्चरीक चमू चारु श्रीहार कुटिलालके ।
मत्ते भगवती मातः कलकण्ठरवामृते ॥ १३ ॥

हासाऽवलोकनैर्दिव्यैर्भक्तचिन्तापहारिके ।
रूप लावण्य तारूण्य कारूण्य गुणभाजने ॥ १४ ॥

क्वणत्कङ्कणमञ्जीरे लसल्लीलाकराम्बुजे ।
रुद्रप्रकाशिते तत्त्वे धर्माधारे धरालये ॥ १५ ॥

प्रयच्छ यजमानाय धनं धर्मैकसाधनम् ।
मातस्त्वं मेऽविलम्बेन दिशस्व जगदम्बिके ॥ १६ ॥

कृपया करुणागारे प्रार्थितं कुरु मे शुभे ।
वसुधे वसुधारूपे वसुवासववन्दिते ॥ १७ ॥

धनदे यजमानाय वरदे वरदा भव ।
ब्रह्मण्यैर्ब्राह्मणैः पूज्ये पार्वतीशिवशङ्करे ॥ १८ ॥

स्तोत्रं दरिद्रताव्याधिशमनं सुधनप्रदम् ।
श्रीकरे शङ्करे श्रीदे प्रसीद मयि किङ्करे ॥ १९ ॥

पार्वतीशप्रसादेन सुरेशकिङ्करेरितम् ।
श्रद्धया ये पठिष्यन्ति पाठयिष्यन्ति भक्तितः ॥ २० ॥

सहस्रमयुतं लक्षं धनलाभो भवेद्ध्रुवम् ।
धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च ।
भवन्तु त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादिसम्पदः ॥ २१ ॥

इति श्री धनलक्ष्मी स्तोत्र ।

Dhan Laxmi Stotra in Hindi

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