सूरदास का जीवन परिचय

सूरदास जी का जन्म संवत् 1535 वि० (सन 1478 ई०) में आगरा मथुरा जाने वाली सड़क के निकट स्थित रुनकता गांव में हुआ था|

जन्म (Birth)   -1478 ई0

सूरदास जी के जन्म के विषय में काफी भ्रांतिया हैं | कुछ लोगों का मानना है कि सूरदास जी जन्म से अंधे थे |  परंतु कुछ लोगों का यह भी मानना है कि वह जन्मांध अंधे नहीं थे |

सूरदास जी के माता- पिता

उनके पिताजी का नाम पंडित राम दास सारस्वत था | इनके माताजी के संबंध में कोई साक्ष्य प्रमाण नहीं मिलता है|

सूरदास के गुरु कौन थे और सुर दास किसके भक्त थे ?

सूरदास जी के दीक्षा के गुरु स्वामी वल्लभाचार्य जी थे |  सूरदास जी भगवान श्री कृष्ण के भक्त थे |

सूरसागर (Sursagar) सूरसारावली (Sursaravali) साहित्य-लहरी (Sahitya-Lahri) नल-दमयन्ती (Nal-Damyanti) ब्याहलो (Byahlo )

सूरदास जी की मुख्यतः 5 रचनाएं हैं

सूरदास के पद और दोहे | Surdas Ke Pad & Dohe in hindi

“मुख दधि लेप किए” सोभित कर नवनीत लिए। घुटुरुनि चलत रेनु तन मंडित मुख दधि लेप किए॥ चारु कपोल लोल लोचन गोरोचन तिलक दिए।

 “कबहुं बढ़ैगी चोटी” मैया कबहुं बढ़ैगी चोटी। किती बेर मोहि दूध पियत भइ यह अजहूं है छोटी॥ तू जो कहति बल की बेनी ज्यों ह्वै है लांबी मोटी।

सूरदास के पद और दोहे | Surdas Ke Pad & Dohe in hindi

“मैं नहिं माखन खायो” मैया! मैं नहिं माखन खायो। ख्याल परै ये सखा सबै मिलि मेरैं मुख लपटायो॥ देखि तुही छींके पर भाजन ऊंचे धरि लटकायो।

सूरदास के पद और दोहे | Surdas Ke Pad & Dohe in hindi