AKbar Birbal Short Story in Hindi | जब बीरबल ने अकबर को आँख वाला आंधा बताया

Akbar Birbal Short Story in Hindi

akbar birbal hindi story
Akbar Birbal Hindi Story

 आँखे वाले अंधे – Akbar Birbal Hindi Story 

एक दिन Akbar ने birbal से प्रश्न किया-हमारे राज्य में आँखे होते हुए भी अंधो की संख्या कितनी है ? बीरबल ने कहा-हुजूर में आपको निश्चित संख्या तो नहीं बता सकता, लेकिन यह तय है की अपने राज्य में अंधो की अपेक्षा आँख वाले अंधो की संख्या ज्यादा है |

अकबर ने इसे प्रमाणित करने को कहा | बीरबल ने दो दिन में प्रमाण सहित सिध्द करने का दावा किया | दुसरे दिन सुबह बीरबल ने अपने घर के पास वाले रस्ते पर एक चारपाई बिछा दी | चारपाई बनी हुई नहीं थी, इसलिए बीरबल वही बैठकर उसे बुनने लगे | 

उन्होंने एक आदमी को कागज़ और कलम देकर अपने पास में बिठा लिया | देखते ही देखते पुरे शहर में यह बात फैल गयी | की बीरबल रास्ते में बैठकर स्वयं चारपाई बना रहा है |

लोग वहां आते और बीरबल से पूछते-अरे बीरबल! आप यह क्या कर रहे हैं ? बीरबल कोई जवाब न देकर प्रश्न पूछने वाले आदमी का नाम पास बैठे कागज़ कलम लिए व्यक्ति को लिखवा देता |

धीरे-धीरे यह सूचि काफी लम्बी हो गई | बादशाह तक इसकी सूचना पहुंची तो वे बीरबल को देखने आए | उन्होंने भी वही प्रश्न किया और बीरबल ने सूचि में उनका नाम सबसे ऊपर लिखवा दिया |

अकबर ने सारा माजरा पूछा तो बीरबल बोला- आप सहित सभी देख सकते हैं की में यहाँ बैठ-कर चारपाई बना रहा हूँ | फिर भी सभी ने मुझसे पूछा की में क्या कर रहा हूँ ? हुए न आप सभी आँख वाले अंधे | बादशाह ने अपनी भूल स्वीकार कर बीरबल को इनाम दिया |

शिक्षा का औपचारिक प्रमाण कई लोगों के पास होता है लेकिन ज्ञान का प्रयोग सही स्थान और समय पर करने वाला व्यक्ति ही सच्चा ज्ञानी होता है |
आपने इस कहानी में से एक बात को तो नोटिस किया ही होगा, कहीं बार हम सभी के साथ ऐसी ही घटनाए होती हैं | लोग बड़े अजीब हैं, अभी आप खाना खा रहे हो, ‘तो पूछेंगे क्या कर रहा है, कहीं बैठे हो तो पूछते हैं, क्या कर रहा हैं | जबकी उन्हें बखूबी पता होता हैं, की यह बैठा हैं, यह खाना खा रहा है, लेकिन फिर भी वह पूछते हैं | जैसी की वे अंधे हो |

ऐसे लोग पूछतें तो ऐसे हैं जैसे की उन्हें हमारी बड़ी परवाह हैं, और हमारी मदद करना चाहते हो | लेकिन जब उन्हें बता दो की भाई यह-यह बात हैं | तो वह अपने आपको इस तरीके से दूर करते हैं की पता भी नहीं चलने देतें |

दोस्तों – एक बात तो पक्की हैं, की अगर जीवन में सफल होना चाहते हो तो कभी ऐसे लोगों पर ध्यान मत देना | इनसे जितनी दुरी होगी उतना ही अच्छा रहेगा |

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Akbar Birbal Short Story in Hindi |* अगर सभी बादशाह होते *

Akbar Birbal/ अकबर बीरबल से तरह-तरह के अजीबो गरीब प्रश्न पूछा करते थे। कुछ प्रश्न ऐसे भी होते थे जो वह बीरबल की बुद्धि की परीक्षा लनेे के लिए पूछते थे। एक बार बादशाह अकबर बीरबल से बोले- ‘बीरबल इस दुनिया में कोई अमीर हैं कोई गरीब हैं ऐसा क्यो होता है ?’ जब सब लोग ईश्वर को परमपिता कहते हैं तो सभी उनके पुत्र ही हुए, पिता अपने बच्चों को हमेशा अच्छा और खुशहाल देखना चाहता है। फिर ईश्वर परमपिता होकर क्यों किसी को आराम का पुतला बनाता हैं और किसी को मुट्ठी भर अनाज के लिए दर-दर भटकाता है ? आाखिर उसने सभी को समान क्यो नही बनाया ?

Akbar Birbal Moral Story in Hindi
Akbar Birbal Moral Story in Hindi

आलमपनाह ईश्वर अगर ऐसा न करें तो दुनिया की गाडी चल ही नही सकती, वैसे तो दुनिया में पांच पिता कहे गये है। इस नाते आप भी अपनी प्रजा के पिता हैं, फिर आप किसी को हजार किसी को पांच सो किसी को पचास तो किसी को पाच सात रुपये ही वेतन देते है, जबकि एक महीने तक सभी से सख्ती से काम लेते हैं ऐसा क्यों ? सभी को एक ही नजर से क्यों नही देखते ? और फिर अगर सभी को बादशाह बन जाते तो, सेवकों का काम कौन करता ? बीरबल कौन बनता ? जिस तरह आप अपने कर्मचारियों को उनके कार्य के अनुसार पैसे व उपहार देतें हैं, ठीक वैसे ही परमात्मा भी सभी को उनके कर्म अनुसार सुख दुःख देता हैं |
बीरबल की इन बातों को सुनकर बादशाह कोई जवाब नही दे सके, उल्टे सोच में पड गये।

बीरबल ने अकबर को तो सोच में डाल ही दिया अब बारी आती है अपनी, हमें भी इस बात पर सोचना चाहिए, क्योंकि ईश्वर इंसान को उनके कर्म के अनुसार फल देता हैं, तो हमें भी अपनी करनी पर ध्यान देना चाहिए | अगर अच्छा जीवन जीना चाहते हो तो | क्योंकि कर्म के फल से आज तक कोई नहीं बच पाया | जैसा करोगे वैसा भरोगे – यह प्राकृति का नियम हैं

Akbar Birbal Moral in Hindi
Akbar Birbal Moral in Hindi

अबके और तबके | Moral Story Of Akbar & Birbal

Akbar Birbal Moral Story in Hindi

* हाजिर जवाब *

इस संसार में तीन तरह के मनुष्य पाये जाते हैं जरा उनकी बात सुनियें। अकबर बैठे थे अपने राजमहल में बडे-बडे ज्ञानी और विद्वान थे। अकबर के मंत्री उनमें बीरबल भी थे। अकबर सबसे ज्यादा उनका सम्मान करते थे। इस बात से दूसरे दरबारी भी उनसे जलते थे।

एक दिन बीरबल राजसभा में नही पहूंचे तो कुछ दरबारीयों ने शिकायत की – महाराज आप बीरबल का तो बहुत सम्मान करते हैं हमारा उतना मान नही होता। बीरबल में ऐसी कौनसी विशेषता हैं जो हममें नही है?
महाराज अकबर ने देखा कि इन लोगो मे जलन की भावना जाग उठी है। फिर वह बोले- बीरबल हमारे सभी सवालों का उत्तर देता हैं क्या तुम भी एक सवाल का उत्तर दोगे ?

दरबारी बोले- हाॅं, हाॅं पुछिए महाराज, अकबर ने कहा – यहां से या फिर बाहर से, दो अबके ले आओ और दो तबके फिर दो ऐसे लाओं जो न अबके हो न तबके | दरबारियों ने सोचा राजा शायद आज भांग पीकर बैठा हैं। नहीं तो इस प्रश्न का क्या मतलब ? तभी बीरबल वहां आ गये। दरबारीयों को जैसे सांप सुघं गया था। सबको देखकर बीरबल ने पूछा – महाराज ये सब शांत क्यों खडे हुए हैं ?

अकबर बोले – यह लोग तुमसे जलते हैं कहते हैं कि तुम्हारी तरह यह भी मेरे हर सवाल का जवाब दे सकते है। मैंने इन्हें कहा कि दो अबके लाओं और दो तबके फिर दो ऐसे हो जो न अबके हों न तबके। तभी से चूप है।

बीरबल बोले – महाराज यह तो साधारण सी बात है। मैं ला दूंगा यह सबके सब लेकिन कल तक का समय देने की कृपा करें। महाराज ने उनकी बात तुरंत मान ली। अगले दिन बीरबल गये यमुना किनारे पर, वहां कितने ही राजा महाराजों के तंबू लगे थे, कुछ ही दूरी पर साधु संत भी धूनी रमायें प्रभू भजन में लीन बैठे थे। बीरबल ने दो राजाओं के पास जाकर बताया आपको अकबर बादशाह ने बुलाया है मेरे साथ चलें।

Akbar Birbal Moral Story in Hindi
Akbar Birbal Moral Story in Hindi

इसके बाद दो साधुओं से प्राथना की बादशाह अकबर आपके दर्शन पाना चाहते हैं मेरे साथ चलने की कृपा करें। चारो को लेकर बीरबल चांदनी चोंक में पहूंचे। वहां से दो दुकानदारों को भी अपने साथ ले लिया। और पहूंचे दरबार में।

बादशाह ने पुछा – क्यों बीरबल, मिल गया हमारे सवाल का जवाब ?

बीरबल बोले – मैं अपने साथ ही लाया हूं महाराज।

दरबारीयों ने आश्चर्य से उन लोगों को देखकर सोचा यह लोग बादशाह के सवाल का जवाब किस तरह हुए ?

Akbar Birbal Moral Story in Hindi
Akbar Birbal Moral Story in Hindi

बीरबल ने बताया महाराज यह दो राजा तो अबके हैं पिछले जन्मों मे इन्होंने तपस्या की दान दिया पूण्य कर्म कियें, उनका फल यह अब भोग रहे है। इसलिए यह अबके है।

यह दो साधु आज तप कर रहे हैं, लोक सेवा कर रहें हैं प्रभू के भजन करते हुए दुख भोग रहे है। इन्हे जो सुख मिलेगा आगे चलकर यह तबके है।

बादशाह ने दुकानदारों की तरफ संकेत करके पूछा – और ये ?

बीरबल ने बताया – यह दुकानदार है, यह न तो पहले तप कर पाये न ही अब करते हैं। इनके लिए न आज सुख हैं न आगे होगा। यह पहले भी कम तोलते थे, और आज भी कम तोलते है। इसलिए यह न तो अबके हैं न तब के हैं |

बीरबल के उत्तर पाकर राजा हंसने लगें और दरबारी शर्म से सर झुका क़र खड़े रहे |

Moral : आप इनमें से कौन से हैं, अबके हो, या तब के हो, या न अबके और न तबके हो |
कर्म बादलों आज अच्छा करोगे तो कल अच्छा पाओगे |

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